जय श्री राधे कृष्ण …….
जुगुति विभीषन सकल सुनाई, चलेउ पवन सुत बिदा कराई, करि सोइ रुप गयउ पुनि तहवां, बन अशोक सीता रह जहवां….!!
भावार्थ:- विभीषण ने (माता के दर्शन की) सब युक्तियां (उपाय) कह सुनाईं। तब हनुमान जी विदा लेकर चले। फिर वही (पहले का मसक सरीखा) रूप धर कर वहां गए जहां अशोक वन में (वन के जिस भाग में) सीता जी रहती थीं…!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..