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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-41

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जय श्री राधे कृष्ण …….

कहहु कवन मैं परम कुलीना, कपि चंचल सबहीं बिधि हीना, प्रात लेइ जो नाम हमारा, तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा….!!

भावार्थ:- भला कहिये, मै ही कौन बड़ा कुलीन हूँ ? (जाति का) चंचल वानर हूँ, और सब प्रकार से नीच हूँ । प्रातःकाल जो हम लोगों (बन्दरों) का नाम ले ले तो उस दिन उसे भोजन न मिले…!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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