जय श्री राधे कृष्ण …….
कहहु कवन मैं परम कुलीना, कपि चंचल सबहीं बिधि हीना, प्रात लेइ जो नाम हमारा, तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा….!!
भावार्थ:- भला कहिये, मै ही कौन बड़ा कुलीन हूँ ? (जाति का) चंचल वानर हूँ, और सब प्रकार से नीच हूँ । प्रातःकाल जो हम लोगों (बन्दरों) का नाम ले ले तो उस दिन उसे भोजन न मिले…!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..