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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-40

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जय श्री राधे कृष्ण …….

जौं रघुबीर अनुग्रह कीन्हा, तौ तुम्ह मोहि दरसु हठि दीन्हा, सुनहु बिभीषन प्रभु कै रीती, करहिं सदा सेवक पर प्रीती….!!

भावार्थ:- जब श्री रघुवीर ने कृपा की है, तभी तो आपने मुझे हठ करके (अपनी ओर से) दर्शन दिए हैं । (हनुमान जी ने कहा) हे विभीषण जी ! सुनिए, प्रभु की यही रीति है कि वह सेवक पर सदा ही प्रेम किया करते हैं….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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