पड़ोसी धर्म
आज की रात उसके लिए बहुत ही ज्यादा मुश्किल बनती जा रही थी उसको कहीं पर भी रास्ता नजर नहीं आ रहा था, ममता अपने माता-पिता की इकलौती पुत्री थी पिता बनारसी दास माता निरुपमा देवी दोनों को ही अपनी बेटी पर बहुत ज्यादा विश्वास था बहुत ही लाड प्यार दुलार के साथ उसको आगे बढ़ा रहे थे। अचानक रात्रि के 2:00 बजे के समय बनारसी दास की तबीयत खराब हो जाती है ममता को समझ में नहीं आ रहा है अब क्या करना चाहिए, 2:00 में अपने घर का दरवाजा खोल कर सड़क पर आ जाती है, सामने पड़ोस में रहने वाले सेठ दीनदयाल का दरवाजा खड़खड़ाती है। अरे रात को 2:00 बजे मेरा दरवाजा कोन खड़ खड़ा रहा है सेठानी बाहर आकर देखती है सामने ममता को देखा बेटी क्या बात है रात को 2:00 बजे यहां क्यों आई है???……पिताजी की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई है अस्पताल ले जाना पड़ेगा इसलिए आप अंकल जी को कहो अपनी गाड़ी से उनको अस्पताल पहुंचा दे, , बात सुनते ही उसने कहा ममता तुम क्या कह रही है अंकल जी की तबीयत बहुत ज्यादा खराब है मैं अभी दवाई देकर उनको सुलाया है और गाड़ी भी खराब है तुम एक काम करो यहां से सीधे चौराहे पर चले जाओ वहां पर कोई रिक्शा मिल जाएगा अपने पिताजी को अस्पताल ले जाओ । यह बात सुनकर ममता का कलेजा और ज्यादा धड़कना प्रारंभ कर देता है रात को 2:00 बजे चौराहे पर लुच्चे लफंगे घूमते रहते हैं बेटी दिन अस्त होने के बाद कभी बाहर नहीं निकलना चाहिए और आज मेरे को चौराहे पर जाने के लिए कह रही है । ममता के कदम चोराहै की तरफ आगे बढ़ाने प्रारंभ हो जाते है अचानक पीछे से आवाज आती है अरे बिटिया तुम कहां जा रही है रात को 2:00 बजे, , ममता ने पीछे मुड़कर देखा एक बूढ़ा व्यक्ति उसकी तरफ चला आ रहा था देखते ही कहा अरे बेटी तुम तो हमारे पड़ोस बनारसी दास की बिटिया है रात को 2:00 बजे बाहर कहां जा रही है क्या हुआ बतला तो सही , स्नेह पूर्ण शब्दों को सुनकर ममता बाग-बाग बन जाती है।
वह और कोई नहीं उसी के पड़ोस में 1 महीने पहले आकर रहने वाला चाचा कस्तूरी था गरीब था रिक्शा चला कर अपना जीवन यापन कर रहा था ममता ने तत्काल कहा चाचा पापा की तबीयत बहुत खराब है मैं रिक्शा लेने के लिए चौराहे पर जा रही हूं पापा को अस्पताल ले जाना है । अरे बेटी तुम चिंता मत कर अभी अपन पापा को अस्पताल ले जाएंगे कस्तूरी अपना रिक्शा स्टार्ट करता है बाहर आता है ममता को बिठाकर उसके घर पर ले जाता है रिक्शा बनारसी दास के घर के बाहर खड़ा कर देता है। ममता भीतर जाकर अपने पिताजी को उठाने का प्रयास करना प्रारंभ किया पर पिताजी का शरीर भारी था उठ नहीं रहा था तत्काल कस्तूरी भीतर पहुंच जाता है सहारा देकर बाहर लाकर अपने टेंपो में बिठाकर हॉस्पिटल की तरफ रवाना हो जाता है। डॉक्टर को दिखाया बीपी बहुत ज्यादा बढ़ गई है यह दवाई और इंजेक्शन तत्काल इनको लगाना होगा अभी तो मैं इंजेक्शन लगा देता हूं आप आराम से सो जाओ।
प्रातः काल यह दवाइयां और इंजेक्शन लगाने से ठीक हो जाएंगे, , सूर्योदय के साथ डॉक्टर के शब्द गुंजायमान होते हैं दवाई इंजेक्शन आ गए ममता पर्ची लेने के लिए हाथ आगे बढ़ती है उसे पहले ही कस्तूरी बोलता है साहब यह पर्चा मेरे को दे मैं अभी दवाई लेकर आता हूं, कस्तूरी तत्काल में बाहर निकल जाता है दवाई लेने के लिए थोड़ी देर में दवाई लेकर आ जाता है डॉक्टर कस्तूरी की तत्परता को देखकर बहुत ज्यादा खुश हो जाता है। तत्काल इंजेक्शन दवाइयां अपना काम करना प्रारंभ कर देती है देखते देखते बीमार व्यक्ति स्वथता की ओर अग्रसर होना प्रारंभ कर देता है । सूर्य अपनी तेजस्विता के साथ चमक रहा था सारा परिसर प्रकाश में प्रकाशित होता जा रहा था ममता हॉस्पिटल में बैठे-बैठे खिड़की से मुंह बाहर निकाल कर देख रही थी अचानक उसने देखा पड़ोसी अंकल की गाड़ी वहां पर आकर रूकती है ना तो गाड़ी खराब थी और नहीं अंकल की तबीयत खराब थी केवल खराब थी तो मानसिकता आंटी की ,, ऐसा पड़ोसी किस काम का जो विपत्ति के समय में भी काम नहीं आए वह एक कड़वा घूंट पी कर रह जाती है।
दो दिनों के पश्चात जब पूर्ण स्वस्थ हो गए तब डॉक्टर ने कहा अब आप अपने घर पर जा सकते हो…. कस्तूरी इस समय सामने आता है सारा बिल अपनी तरह से अदा करके हाथ का सहारा देकर अपने टेंपो में बिठाकर ममता को अपने पिता के साथ अपने घर पर छोड़ देता है,…, ममता₹500 का नोट निकाल कर कस्तूरी को पकड़ना चाहती है ,…कस्तूरी हंसकर टाल देता है मैंने कुछ नहीं किया है केवल अपने पड़ोसी धर्म का निर्वहन किया है। यह शब्द जब ममता के कानों में टकराते हैं ,पड़ोसी धर्म, एक वह पड़ोसी था जिसके पास में बहुत बड़ा चमचमाहट करता हुआ बंगला फर्राटे दार गाड़ी पर मन में पड़ोसी के प्रति कोई दया नहीं , दूसरा फटेहाल फकीर कस्तूरी जिसको पड़ोसी धर्म निभाना आता है यही वास्तव में सच्चा पड़ोसी धर्म होता है । ममता के कानों में एक शब्द गूंजायमान रहता है 24 घंटा, पड़ोसी धर्म ।
जय श्रीराम
मुसीबत में पहला भगवान पड़ोसी ही होता हैं
Subhash Sir..This still happens in small towns.. Jai SHree Ram