जय श्री राधे कृष्ण …….
नाना तरु फल फूल सुहाए, खग मृग बृंद देखि मन भाए, सैल बिसाल देखि एक आगें, ता पर धाइ चढ़ेउ भय त्यागें……!!
भावार्थ:- अनेकों प्रकार के वृक्ष फल – फूल से शोभित हैं। पक्षी और पशुओं के समूह को देखकर तो वे मन में (बहुत ही) प्रसन्न हुए। सामने एक विशाल पर्वत देखकर हनुमान जी भय त्याग कर उस पर दौड़ कर जा चढ़े…… !!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
