जय श्री राधे कृष्ण …….
ताहि मारि मारुतसुत बीरा, बारिधि पार गयउ मतिधीरा, तहाँ जाइ देखी बन सोभा, गुंजत चंचरीक मधु लोभा…..!!
भावार्थ:- पवन पुत्र धीर बुद्धि वीर श्री हनुमान जी उसको मार कर समुद्र के पार गए। वहां जाकर उन्होंने वन की शोभा देखी मधु (पुष्प रस) के लोभ से भौरे गुन्जार कर रहे थे…. !!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
