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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-11

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जय श्री राधे कृष्ण …….

बदन पइठि पुनि बाहेर आवा, मागा बिदा ताहि सिरु नावा, मोहि सुरन्ह जेहि लागि पठावा, बुधि बल मरमु तोर मैं पावा…!!

भावार्थ:- और वे उसके मुख में घुसकर (तुरंत) फिर बाहर निकल आए और उसे सिर नवाकर विदा मांगने लगे। (उसने कहा-) मैंने तुम्हारे बुद्धि बल का भेद पा लिया, जिसके लिए देवताओं ने मुझे भेजा था … … !!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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