जय श्री राधे कृष्ण …….
बदन पइठि पुनि बाहेर आवा, मागा बिदा ताहि सिरु नावा, मोहि सुरन्ह जेहि लागि पठावा, बुधि बल मरमु तोर मैं पावा…!!
भावार्थ:- और वे उसके मुख में घुसकर (तुरंत) फिर बाहर निकल आए और उसे सिर नवाकर विदा मांगने लगे। (उसने कहा-) मैंने तुम्हारे बुद्धि बल का भेद पा लिया, जिसके लिए देवताओं ने मुझे भेजा था … … !!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..