आईना
आईना दिवाली आने वाली थी। ऋचा घर के सभी कामों के साथ सफाई भी पूरी चुस्ती फुर्ती से कर रही थी। घर में उसके पति सास-ससुर,देवर-देवरानी,उसके दो बच्चे और एक देवर का बच्चा था। देवरानी नौकरी करती थी। इस तरह...
आईना दिवाली आने वाली थी। ऋचा घर के सभी कामों के साथ सफाई भी पूरी चुस्ती फुर्ती से कर रही थी। घर में उसके पति सास-ससुर,देवर-देवरानी,उसके दो बच्चे और एक देवर का बच्चा था। देवरानी नौकरी करती थी। इस तरह...
जय श्री राधे कृष्ण …….. " हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम , राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम…!! भावार्थ:- हनुमान जी ने उसे हाथ से छू दिया, फिर प्रणाम करके कहा - भाई! श्री रामचंद्र जी का...
प्रत्येक महान कार्य को तीन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है- उपहास, विरोध और स्वीकृति। उपहास- मानव मन का एक स्वभाव यह भी है कि वह स्वयं कुछ श्रेष्ठ करना नहीं चाहता है और जो करना चाहता है उसे भी नहीं...
जय श्री राधे कृष्ण …….. " ख़ुद पर भरोसा करना परिंदों से सीखना चाहिए, जब वो शाम को वापस, घोंसलों में जाते हैं तो, उनकी चोंच में कल के लिए दाना नहीं होता हैं….!! सुप्रभात आज का दिन प्रसन्नता से...
जय श्री राधे कृष्ण …….. " जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता , चलेउ सो गा पाताल तुरंता , जिमि अमोघ रघुपति कर बाना एही भांति चलेउ हनुमाना……!! भावार्थ:- जिस पर्वत पर हनुमान जी पैर रखकर चले (जिस पर से वह...
विषम-परिस्थिति एक युवक को उसके विद्यालय में सहपाठी और शिक्षक बहुत पसंद करते थे, क्योंकि दिव्यांग होने के बावजूद वह मिलनसार और आशावादी युवक था। एक दिन उसके सहपाठी ने उससे पूछा, तुम्हारी इस दिव्यांगता का कारण क्या है?....... लड़के...
जय श्री राधे कृष्ण …….. " सिंधु तीर एक भूधर सुन्दर, कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर, बार बार रघुबीर संभारी, तरकेउ पवनतनय बल भारी……!! भावार्थ:- समुद्र के तीर पर एक सुंदर पर्वत था। हनुमान जी खेल से ही (अनायास ही)...
ॐ जय जगदीश हरे हमारे हिंदुस्तान में शायद कोई भी सनातनी हिंदू ऐसा नहीं होगा जिसने आरती "ॐ जय जगदीश हरे" नहीं सुना अथवा गाया होगा. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि.... प्रसिद्ध आरती "ॐ जय जगदीश हरे" ….कहाँ से...
जय श्री राधे कृष्ण …….. " जब लगि आवौं सीता देखी, होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी, यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा, चलेउ हरषि हिय धरि रघुनाथा….. !! भावार्थ:- जब तक मैं सीता जी को देखकर (लौट) न आऊं |...
सबसे बड़ा तीर्थ एक बार एक चोर जब मरने लगा तो उसने अपने बेटे को बुलाकर एक नसीहत दी:-” अगर तुझे चोरी करनी है तो किसी गुरुद्वारा, धर्मशाला या किसी धार्मिक स्थान में मत जाना बल्कि इनसे दूर ही रहना...