जय श्री राधे कृष्ण …….
जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा,/कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा, सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ, तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ….!!
भावार्थ:- उसने योजन भर (चार कोस में) मुंह फैलाया । तब हनुमान जी ने अपने शरीर को उससे दूना बढ़ा लिया। उसने सोलह योजन का मुख किया। हनुमान जी तुरंत ही बत्तीस योजन के हो गये … !!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..