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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-9

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जय श्री राधे कृष्ण …….

जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा,/कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा, सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ, तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ….!!

भावार्थ:- उसने योजन भर (चार कोस में) मुंह फैलाया । तब हनुमान जी ने अपने शरीर को उससे दूना बढ़ा लिया। उसने सोलह योजन का मुख किया। हनुमान जी तुरंत ही बत्तीस योजन के हो गये … !!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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