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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-2

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जय श्री राधे कृष्ण ……..

” जब लगि आवौं सीता देखी, होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी, यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा, चलेउ हरषि हिय धरि रघुनाथा….. !!

भावार्थ:- जब तक मैं सीता जी को देखकर (लौट) न आऊं | काम अवश्य होगा, क्योंकि मुझे बहुत ही हर्ष हो रहा है | यह कह कर और सबको मस्तक नवा कर तथा हृदय में श्री रघुनाथ जी को धारण करके हनुमान जी हर्षित होकर चले…. .!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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