जय श्री राधे कृष्ण ……..
” जामवंत के बचन सुहाए, सुनि हनुमंत हृदय अति भाए, तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई, सहि दुख कंद मूल फल खाई ||
भावार्थ:- जामवंत के सुंदर वचन सुनकर हनुमानजी के ह्रदय को बहुत भाए | (वे बोले) हे भाई ! तुम लोग दुख सहकर कंद-मूल-फल खाकर तब तक मेरी राह देखना … .!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
