अधिकांश मित्र विजयादशमी और दशहरे को एक ही त्योहार के अलग अलग नाम मानते हैं। ऐसा है नहीं । विजयादशमी और दशहरा दोनों अलग-अलग त्योहार हैं और अलग अलग कालखण्ड में घटित घटनाओं के कारण मनाया जाते हैं ।। परंतु, समुचित जानकारी के अभाव में विजयादशमी और दशहरे को एक ही मान लिया जाता है। वास्तव में दशहरा और विजयादशमी दोनों ही हम हिन्दुओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण परंतु अलग-अलग त्योहार हैं। लेकिन, चूँकि दोनों ही त्यौहार एक ही दिन पड़ते हैं, अतः लोग इन्हें एक ही समझ रहे हैं । ऐसा इसीलिए भी है कि दोनों ही त्यौहार दस दिनों तक मनाये जाते हैं और दसवें दिन इनका समापन होता है। परंतु, सच्चाई ये है कि, दशहरा और विजयादशमी भले ही एक साथ पड़ते हैं, परंतु, दोनों त्योहार हैं अलग ।
प्रथम, जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान श्री राम और रावण के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ। और अंततः भगवान श्री राम ने आश्विन मास की दसवीं तिथि को अधर्मी रावण का वध कर दुनिया को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलवाई ।। भगवान राम के इसी जीत के उपलक्ष्य में हर साल दशहरा मनाया जाता है ।।
दूसरी तरफ, विजयादशमी भी हमारा एक अति महत्वपूर्ण त्यौहार है, और विजयादशमी हर वर्ष उसी दिन पड़ता है जिस दिन दशहरा होता है, अर्थात यह भी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि को ही पड़ता है । और विजय दशमी को भी असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। तथा, यह भी दस दिनों तक चलने वाला त्यौहार है । लेकिन, इसमें शुरू के नौ दिनों को नवरात्र और दसवें दिन को विजयादशमी कहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बहुत ही अधर्मी असुर राजा हुआ करता था जिसका नाम महिषासुर था। उसने कठोर तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान पा लिया था जिसकी वजह से देवता समेत कोई भी उसे मार नहीं सकता था । महिषासुर अत्यंत ही अत्याचारी राजा था, जिस कारण लोग उसके अत्याचार से त्राहि त्राहि कर रहे थे।
अंत में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ने अन्य देवताओं की सहायता से अत्याचारी महिषासुर का अंत करने के लिए देवी मां का आवाहन करके एक शक्ति की रचना की। इसी शक्ति का नाम देवी भगवती (दुर्गा) पड़ा । देवी दुर्गा में सभी देवताओं की शक्तियां समाहित थी। देवी दुर्गा और महिषासुर में भयंकर युद्ध हुआ। अंततः नौ दिन तक लगातार भीषण युद्ध होने के पश्चात् दसवें दिन देवी ने महिषासुर का वध किया और संसार को उसके आतंक और अत्याचार से मुक्ति दिलाई ।। इसी जीत के उपलक्ष्य में हर साल देवी दुर्गा की पूजा की जाती है और इस त्यौहार को “विजयादशमी” कहा जाता है ।। विजयादशमी में पूरे दस दिनों तक त्योहार मनाया जाता है, जिसमें प्रारंभ के नौ दिनों तक देवी की पूजा अर्चना की जाती है एवं दसवें दिन उन मूर्तियों का किसी नदी में विसर्जन कर दिया जाता है ।।
लोग इन नौ दिनों तक व्रत रखते हैं । नवरात्र के नवें दिन 9 कुंवारी कन्याओं को देवी स्वरूपा मानकर उनकी पूजा की जाती है एवं उन्हें भोजन वस्त्र आदि भेंट दी जाती है ।। विजयादशमी को शक्ति पूजा भी कहते हैं और इस दिन शस्त्र पूजा भी की जाती है। क्योंकि कहा जाता है कि प्रभु श्री राम ने भी रावण वध करने के पहले इस दिन देवी शक्ति की पूजा की थी और उनसे आशीर्वाद लिया था ।।
अगर ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में देखा जाए तो विजयादशमी की घटना पहले हुई है और दशहरे की घटना बाद में, इसीलिए दुर्गा पूजा के नवरात्र के बाद हम लोग दशहरा मनाने लगते हैं ।। विजयादशमी और दशहरा दोनों ही असत्य पर सत्य की विजय एवं बुरी शक्तियों पर अच्छी शक्ति की विजय का ही त्योहार है ।। ये दोनों ही त्योहार हमें ये सीख देते हैं कि बुरी शक्ति चाहे कितनी भी ताकतवर क्यों न हो जाये लेकिन उनका विनाश निश्चित है ।।
जय श्रीराम