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अपेक्षा रहित सेवा- प्रभु की नजरों में सम्मानित

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जगत से अपेक्षा रखकर की गई कोई भी सेवा एक ना एक दिन निराशा का कारण अवश्य बन जाती है। यदि जीवन में अवसर मिले तो सेवा सभी की करना मगर आशा किसी से भी मत रखना क्योंकि सेवा का वास्तविक मूल्य भगवान ही दे सकते हैं,इंसान नहीं।

यदि ये दुनिया सेवा का मूल्य अदा कर भी दे, तो समझ जाना वो सेवा नहीं हो सकती। सेवा कोई वस्तु नहीं है, जिसे खरीदा अथवा बेचा जा सके। सेवा पुण्य कमाने का साधन है, प्रसिद्धि कमाने का नहीं। हमारे जीवन की श्रेष्ठ स्थिति तो यही है कि अपेक्षा रहित होकर सेवा की जाए।

दुनिया की नजरों में सम्मानित होना बड़ी बात नहीं, प्रभु की नजरों में सम्मानित होना बड़ी बात है। सुदामा जी के जीवन की सेवा-समर्पण का इससे श्रेष्ठ फल क्या हो सकता था,दुनिया जिन ठाकुर के लिए दौड़ती है,वो सुदामा जी के लिए दौड़े हैं। सेवा करते रहो प्रभु के हाथों से एक न एक दिन उसका फल अवश्य मिलेगा..!!

जय श्री राम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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