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छोटी-शुरूवात-बड़ी-सफलता

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छोटी-शुरूवात-बड़ी-सफलता
एक बार एक गांव मे निर्धन परिवार रहता था। परिवार की हालात इतनी तंगी थी कि उसके खाने पीने के भी लाले पडे हुए थे। परिवार सिर्फ तीन ही लोगों का था। पती पत्नि और बेटा । पती को कोई काम नही देता था। क्योंकि वह बीमारी के कारण सुस्त भी रहता था। इसीलिए उसे काम नही देते थे। उसकी पत्नी थोडा बहुत घरों मे काम करती थी तो थोडा ही खर्च निकल पाता था। बेटे की पढ़ाई के लिए नही बच पाता था।इसीलिए वह स्कूल नही जाता था।
अचानक एक दिन उसके पति की मृत्यु हो जाती है । पत्नी बेचारी अब अकेली हो चुकी थी। लोगों ने उसे अपशगुनी मानकर काम से निकाल दिया। अब उसकी आजीविका का कोई सहारा न था। जहां काम मांगने जाती लोग मना कर देते थे। घर मे भी कुछ न बचा था। बेटे को तड़पते देख उसे कुछ नही सूझ रहा था।
एक दिन उसके दिमाग मे आया कि उसे आचार बनाना आता है। उसके पास कुछ पैसे थे।उसने आम और मसाले लाये और आचार बनाना शुरू किया। आचार दो दिन मे तैयार हो गया , फिर उसने बाजार मे बेचने के लिए ले गया उसे थोडा बहुत पैसे मिल गये थे। दूसरे दिन वह उससे उसने खाने के लिए नही लाया बल्की भूखे ही रहे। लेकिन उन पैसों से उसने और आम लाये और आचार बनाकर दूर गांव मे बेचने गयी।
धीरे-धीरे उसकी आमदनी बढने लगी उसका बेटा स्कूल जाने लगा। वह और मेहनत करने लगी अब उसने बाजार मे दुकान भी खोल ली जिससे काफी ग्राहक उसके बन गये , अब उसका अपना गांव मे सबसे बडा घर था। उसने फैक्ट्री भी खोल दी औ लोगों को रोजगार देने लगी। धीरे-धीरे वह शहर की सबसे धनी बन गयी।
मित्रों” कहते है कि छोटी सुरूवात से ही बडी सफलता प्राप्त होती है। अगर हम एक दम बडा लाभ का काम सोचेगें तो जो हमारे पास है वो चला जायेगा। इसीलिए लिए छोटी सफलता को ही बडी खुशी मानकर हमे अपना अस्तित्व बनाना चाहिए। तभी हम बडे मुकाम तक पहुंच सकते है।
जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

2 Comments

    • आज कल सर, धैर्य के साथ गति बढ़ाते हुए नियमित एक दिशा मे कार्य करने से जल्दी सफलता मिलती है। किन्तु हम लोगो को तुरंत मैगी की तरह 2 मिनट्स मे परिणाम चाहिए

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