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गौ हत्या में मैं कितना जिम्मेदार

#गौ हत्या में मैं कितना जिम्मेदार # जय श्रीराम

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गौ हत्या में मैं कितना जिम्मेदार

क्या बात करते हो, मैं कहाँ और कैसे गौ हत्या के लिए जिम्मेदार हो सकता हु।

में तो गाय को माता मानता हूं, शास्त्रो में लिखा है की गाय में समस्त देवी देवता निवास करते है। गौ मूत्र के ये ये फायदे है इत्यादि जवाब मिलते है।

मेरा सवाल है कि अगर हम गाय को बचाने के लिए कुछ भी नही कर रहे है, तो अपरोक्ष रूप से गौ हत्या में हम भी जिम्मेदार है। किन्तु गौ हत्या ना हो, इसके लिए हमारा थोड़े से प्रयास, गाय को बचाने के लिए प्रयाप्त होंगे।

1 पुराने समय मे प्रत्येक घर मे गाय जरूर पलती थी और वो गाय का दूध परिवार में ही काम आता था। मॉर्डन जमाने मे, भागदौड़ वाली ज़िन्दगी में, नौकरी की आपाधापी में या जगह के अभाव में गाय पालना तो संभव नही है, किन्तु हम गाय और गाय के उत्पाद को अपने जीवन मे अपना तो सकते ही है।

2. हम सभी को पता है कि गाय का दूध अमृत होता है, यदि नवजात को उसको माँ का दूध किसी भी कारणवश नही मिल पा रहा है तो हम गाय का दूध उसको दे सकते है। जब हमको पता है कि गाय का दूध अमृत है, तो हम अपने परिवार में इसे क्यों नही लाते? हम केमिकल  मिलावटी डब्बा दूध या पैक दूध ही क्यों लेते है या भैंस का गाढ़ा दूध ही हमे क्यों चाहिए?? अगर हम अपने घर मे आने वाले पैक दूध को गाय के दूध से बदल देवे तो हम कम से कम एक गाय की हत्या होने से तो बचा ही लेंगे।

3. बनावटी ज़िन्दगी में प्रत्येक 3 व्यक्ति में से 2 व्यक्ति शुगर, ब्लड प्रेशर, इत्यादि में से किसी ना किसी बीमारी की दवा ले रहे है साथ ही डॉक्टर ने हमे घी के सेवन को मना किया हुआ है।

4. मेडिकल साइंस की रिसर्च कहती है कि गाय के दूध या घी से हानिकारक कोलेस्ट्रॉल नही बनता है। शरीर मे ताज़गी, फुर्ती बनी रहती है साथ ही सुबह मोशन भी बढ़िया आता है। बस हम ये प्रण करे कि मेरे घर मे सिर्फ और सिर्फ़ गाय का घी ही आएगा। घी आप अपने आस पड़ोस में किसी भी गाय पालने वाले से उसका पूरा मूल्य चुका कर ले सकते है।

5. शास्त्रो में कहा है कि हवन करने से पर्यावरण शुद्घ होता है, तथा मौसमी बीमारी फैलाने वाले कीटाणु और जीवाणु नष्ट हो जाते  है। अब समय के अभाव में नियमित हवन करना तो संभव नही है किंतु हम ये सौगन्ध तो ले सकते है कि मैं जो पूजा का दीपक गाय के घी से ही प्रज्वलित करूँगा और मेरे आँगन में तुलसी  संध्या भी गाय के घी के दीपक से ही होगी। वैसे भी हमारी संस्कृति में बाँस की अगरबत्ती जलाने से पित्र दोष लगता है।

6. अपने परिवार के साथ नज़दीक को गौ शाला में नियमित जाएंगे। गौ शाला के प्रबन्ध पर वार्ता करेंगे और गौ शाला को आत्मनिर्भरता के लिए प्रयास करेंगे। अपनी मेहनत की कमाई का कुछ अंश (श्रद्धा अनुसार) गौ शाला में चारा या अन्य रूप में  दान करेंगे।

7. प्रत्येक सुबह ऑफीस या दुकान जाते हुए रास्ते मे 10 रुपये का चारा अपने हाथों से गाय को खिलाऊँगा।

8. डॉक्टर का बेटा डॉक्टर या नेता का बेटा नेता तथा फ़िल्मी एक्टर का बेटा एक्टर बनने की प्रथा तो हमारे समाज मे है किंतु अब किसान का बेटा किसान नही बनना चाहता या गौ पालक का बेटा गौ पालक नही बनना चाहता क्योंकि इस काम मे मान-सम्मान नही है । मेरे आस पड़ोस में से जहा से भी में  गाय का घी दूध लेता हूं उसको समय से पूरा मूल्य ससम्मान अदा करूँगा।

9. पिछले कुछ वर्षों में हमारे देश मे दुधारू पशुयों की संख्या में बहुत कमी आयी है किन्तु आश्चर्यजनक बात है कि दूध बढ़ रहा है, याकिन मानिये जो दूध  बाजार में बढ़ रहा है वो मिलावट के साथ साथ ज़हर भी ही। जो कि डिटर्जेंट पाउडर और घटिया तेल मिला कर बना रहे है। लोगो ने बड़े बड़े प्लान्ट लगा लिये है इस ज़हर को बेचने के लिए।

10 आज से 20-25  वर्ष पहले तक त्योहारों के मौसम में शाषण प्रशाषन सर्कुलर निकाल कर दूध को मिठाई बनाने पर पाबंदियां लगा देता था को समाज को घर मे दूध मिलता रहे किन्तु अब ऐसा नही हो रहा है। बाज़ार में उम्मीद से कही अधिक मिलावटी ज़हरीला दूध आ रहा है ओर हमारे स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहा है।

11 . यदि हमारे सामने किसी भी गाड़ी में गौ वंश जा रहा है तो ड्राइवर की आँख में आँख डालकर उससे सवाल जरूर करेंगे कि कहाँ लेकर जा रहे हो? किसके है? शंका होने पर पास के पुलिस स्टेशन को सूचित जरूर करेंगे।

9. अगर हमारे गाड़ियों का बिज़नेस है कोई हमे ज्यादा पैसे का लालच देकर गौ वंश को ले जाने की बात करता है तो सवाल जरूर करे, हो सकता है कि आप को बैला कर गौ हत्या में साझीदार बना रहा है।

12.  हमे अपने आस पड़ोस के किस किसान गौ पालक को प्रमोट करना है की वो गाय का शुद्ध दूध हमे उपलब्ध कराएं।

मेरा विश्वास कीजिये हमारे ये छोटे छोटे से प्रयास गाय को बचाने में मिल का पत्थर साबित होँगे।

निजी विचार

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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