lalittripathi@rediffmail.com
Stories

स्वाहा

#स्वाहा #गृह प्रवेश #पूजा #हवन सामग्री #सामग्री #पूजा #कुंड #जय श्रीराम

311Views

मैं एक गृह प्रवेश की पूजा में गया था पंडितजी पूजा करा रहे थे । पंडितजी ने सबको हवन में शामिल होने के लिए बुलाया । सबके सामने हवन सामग्री रख दी गई । पंडितजी मंत्र पढ़ते और कहते, “स्वाहा ।” लोग चुटकियों से हवन सामग्री लेकर अग्नि में डाल देते,

गृह मालिक को स्वाहा कहते ही अग्नि में घी डालने की ज़िम्मेदीरी सौंपी गई । हर व्यक्ति थोड़ी सामग्री डालता, इस आशंका में कि कहीं हवन खत्म होने से पहले ही सामग्री खत्म न हो जाए, गृह मालिक भी बूंद-बूंद घी डाल रहे थे । उनके मन में भी डर था कि घी खत्म न हो जाए ।

मंत्रोच्चार चलता रहा, स्वाहा होता रहा और पूजा पूरी हो गई, सबके पास बहुत सी हवन सामग्री बची रह गई । “घी तो आधा से भी कम इस्तेमाल हुआ था ।” हवन पूरा होने के बाद पंडितजी ने कहा कि आप लोगों के पास जितनी सामग्री बची है, उसे अग्नि में डाल दें । गृह स्वामी से भी उन्होंने कहा कि आप इस घी को भी कुंड में डाल दें ।

एक साथ बहुत सी हवन सामग्री अग्नि में डाल दी गई । सारा घी भी अग्नि के हवाले कर दिया गया । पूरा घर धुंए से भर गया । वहां बैठना मुश्किल हो गया, एक-एक कर सभी कमरे से बाहर निकल गए । अब जब तक सब कुछ जल नहीं जाता, कमरे में जाना संभव नहीं था । काफी देर तक प्रतीक्षा करना पड़ा, सब कुछ स्वाहा होने की प्रतीक्षा में ।

मित्रों” उस पूजा में मौजूद हर व्यक्ति जानता था कि जितनी हवन सामग्री उसके पास है, उसे हवन कुंड में ही डालना है । पर सभी ने उसे बचाए रखा कि आख़िर में सामग्री काम आएगी या खत्म न हो जाए ? ऐसा ही हम करते हैं । यही हमारा स्वाभाव है। हम अंत के लिए बहुत कुछ बचाए रखते हैं। जो अंत मे जमीन संपत्ति और बैंक बैलेंस के रूप में यहीं पड़ा रह जाता है।

जीवन की पूजा समाप्त हो जाती है और हवन सामग्री बची रह जाती है । हम बचाने में इतने मग्न हो जाते हैं कि यह भी भूल जाते है कि सब कुछ होना हवन कुंड के हवाले ही है, उसे बचा कर क्या करना।

बाद में तो वो सिर्फ धुंआ ही होना है !! “संसार” हवन कुंड है और “जीवन” पूजा, एक दिन सब कुछ हवन कुंड में समाहित होना है। अच्छी पूजा वही है, जिसमें…”हवन सामग्री का सही अनुपात में इस्तेमाल हो” न सामग्री समाप्त हो ! न बची रह जाए !! यही व्यवस्था करना है !!!

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply