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द्रौपदी मुर्मू

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जब मैं भुवनेश्वर में डिप्टी कलेक्टर थी तभी एक दोपहर सरकारी दौरे के बाद जब मैं अपने दफ्तर लौटी तो वहाँ एक महिला को अपने कार्यालय के बरामदे मे बैठे देखा। मैंने उसे बुलाकर आने का कारण पूछा तो उसने बताया कि उसका एक प्रार्थना पत्र मेरे कार्यालय में लंबित है। जिसमें उसने अपने भूमि विक्रय करने की अनुमति मांगी है।

उसकी फाइल का मुआयना करने पर मैं हैरान रह गई कि वह इससे पूर्व भी तीन बार भूमि विक्रय अनुमति ले चुकी है परंतु उसने भूमि नहीं बेची, इसके लिए मैंने उससे इसकी कैफ़ियत तलब की तो उसने जो कारण बताया उसे जानकर मै हैरान रह गई।

जब पहली बार उसे अनुमति मिली थी तब उसके पुत्र की अचानक मृत्यु हो गई तब वह तय अवधि में बेच न सकीं.. फिर जब दोबारा अनुमति मिली तो उसके पति की मृत्यु हो गई इन दुखों से निपट कर जब तीसरी बार अनुमति मिली तो उसके एक मात्र बचे हुए पुत्र की मृत्यु हो गई।

अब उसे एक लोन चुकाना है इसलिए उसे फिर से विक्रय अनुमति की जरूरत है। मैंने उससे इन कारणों का एक ऐफिडेविट देने को कहा जो उसने लाकर दे दिया और उसको उसी दिन विक्रय अनुमति दे दी गई। वह महिला कोई और नहीं  देश की  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू थीं

जो एक भूतपूर्व मंत्री होने के बाबजूद, बिना किसी शान शौकत के, एक साधारण नागरिक की भांति मेरे कार्यालय में आयीं और अनुमति प्राप्त की।

हमें गर्व है कि ऐसे व्यक्तित्व की महिला देश की राष्ट्रपति बनी है।

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
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