मायके आयी रमा, माँ को हैरानी से देख रही थी। माँ बड़े ध्यान से आज के अखबार के मुख पृष्ठ के पास दिन का खाना सजा रही थी। दाल, रोटी, सब्जी और रायता। फिर झट से फोटो खींच व्हाट्सप्प करने लगीं। “माँ ये खाना खाने से पहले फोटो लेने का क्या शौक हो गया है आपको ?”
“अरे वो जतिन बेचारा, इतनी दूर रह हॉस्टल का खाना ही खा रहा है। कह रहा था की आप रोज लंच और डिनर के वक्त अपने खाने की तस्वीर भेज दिया करो उसे देख कर हॉस्टल का खाना खाने में आसानी रहती है। “
“क्या माँ लाड-प्यार में बिगाड़ रखा है तुमने उसे। वो कभी बड़ा भी होगा या बस ऐसी फालतू की जिद करने वाला बच्चा ही बना रहेगा !” रमा ने शिकायत की।
रमा ने खाना खाते ही झट से जतिन को फोन लगाया।
“जतिन माँ की ये क्या ड्यूटी लगा रखी है? इतनी दूर से भी माँ को तकलीफ दिए बिना तेरा दिन पूरा नहीं होता क्या ?”
“अरे नहीं दीदी ऐसा क्यों कह रही हो। मैं क्यों करूंगा माँ को परेशान ?”
“तो प्यारे भाई ये लंच और डिनर की रोज फोटो क्यों मंगवाते हो ?”
बहन की शिकायत सुन जतिन हंस पड़ा। फिर कुछ गंभीर स्वर में बोल पड़ा :
“दीदी पापा की मौत , तुम्हारी शादी और मेरे हॉस्टल जाने के बाद अब माँ अकेली ही तो रह गयी हैं। पिछली बार छुट्टियों में घर आया तो कामवाली आंटी ने बताया की वो किसी- किसी दिन कुछ भी नहीं बनाती। चाय के साथ ब्रेड खा लेती हैं या बस खिचड़ी। पूरे दिन अकेले उदास बैठी रहती हैं। तब उन्हें रोज ढंग का खाना खिलवाने का यही तरीका सूझा। मुझे फोटो भेजने के चक्कर में दो टाइम अच्छा खाना बनाती हैं। फिर खा भी लेती हैं और इस व्यस्तता के चलते ज्यादा उदास भी नहीं होती। “
जवाब सुन रमा की ऑंखें छलक आयी। रूंधे गले से बस इतना बोल पायी …….भाई तू सच में बड़ा हो गया है…..
जय श्रीराम
Very Motivational story to understand the feelings of lovely mother and make her happy with sweet thinking.
Yess… Rajesh Sir
मां का खयाल रखने का बड़िया तरीका
Kabhi kabhi aisa hi main be use karta hu