एक बार एक पक्षी समुंदर में से चोंच से पानी बाहर निकाल रहा था। दूसरे ने पूछा भाई ये क्या कर रहा है…पहला बोला समुंदर ने मेरे बच्चे डुबा दिए हैं , अब तो इसे सुखा कर ही रहूँगा।
यह सुन दूसरा बोला भाई तेरे से क्या समुंदर सूखेगा। तू छोटा सा और समुंदर इतना विशाल। तेरा पूरा जीवन भी लग जायेगा तो भी तु समुद्र का कुछ नहीं बिगाड़ सकता है ।
पहला बोला देना है तो साथ दे,सलाह नहीं चाहिए।
यह सुन दूसरा पक्षी भी साथ लग लिया। ऐसे हज़ारों पक्षी आते गए और दूसरे को कहते गए सलाह नहीं,साथ चाहिए।
यह देख भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ जी भी इस काम के लिए जाने लगे।
भगवान बोले तू कहाँ जा रहा है। तू गया तो मेरा काम रुक जाएगा। तुम पक्षियों से समुंदर सूखना भी नहीं है।
गरुड़ बोला…भगवन सलाह नहीं, साथ चाहिए। फिर क्या ऐसा सुन भगवान विष्णु जी भी समुंदर सुखाने आ गये।
भगवान जी के आते ही समुंदर डर गया और उस पक्षी के बच्चे लौटा दिए।
आज इस संकट के समय में भी देश को हमारी सलाह नहीं साथ चाहिए। आज सरकार को कोसने वाले नहीं, समाज के साथ खड़े हो कर सेवा करने वाले लोगों की आवश्यकता है। सेवा चाहे चोंच भर हो.. हर नागरिक ये संकल्प करले की इस संकट के समय प्रतिदिन सेवा का एक काम जरूर करुंगा। तो दृश्य बदलेगा….
इसलिए सलाह नहीं,साथ दें। जो साथ दे, दे हर इंसान, तो फिर से मुस्कुरायेगा हिन्दुस्तान….
जय श्रीराम

साथी साथ निभाना