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भोगे सो भाग्यशाली

#भोगे सो भाग्यशाली #मनोचिकित्सक डॉक्टर #खुशी #आनन्द #अवसाद (डिप्रेशन) #जिम्मेदारियों #अधूरी ख्वाहिशों #परिश्रम #जय श्रीराम

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65 वर्ष की उम्र में एकांकी जीवन जीने वाला एक बुजुर्ग अवसाद (डिप्रेशन) की बीमारी से पीड़ित हो गये . उनको इलाज के लिए मनोचिकित्सक डॉक्टर के पास ले जाया गया ….

डॉक्टर : आपके बच्चे क्या करते हैं ?

 बुजुर्ग : मैने उनकी शादी कर दी , और वो अच्छा कमाते हुए सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं . अब मैं पारिवारिक जिम्मेदारियों से पूर्णतया मुक्त हूँ . मेरी पत्नी गुजर चुकी है , और मेरे जीवन में कोई खुशी या आनन्द नहीं है .  डॉक्टर : आपकी ऐसी कोई इच्छा जो पूरी नहीं हुई हो .  बुजुर्ग : जवानी में मेरी बड़ी ख्वाहिश थी कि मैं एक दिन फाइव स्टार होटल में रहूँ . लेकिन ये इच्छा जिम्मेदारियों के कारण अधूरी ही रह गयी !  डॉक्टर : आपके लगभग कुल पास संपति कितनी है ?

बुजुर्ग : मैं अभी एक फ्लैट में रह रहा हूँ , और एक हजार मीटर का एक प्लॉट है . जिसकी कीमत आज तकरीबन चार करोड़ रुपया है !

डॉक्टर : क्या आपको कभी ऐसा नहीं लगता है कि ये संपति बेचकर मैं मजे की जिंदगी जीऊँ ? अगर मेरी राय मानो तो ये प्लॉट चार करोड़ में बेच कर दो करोड़ की दूसरी संपति खरीद लो , और बाकी के दो करोड़ खर्च करो !  एक फाइव स्टार होटल में , जिसका रोज का भाड़ा सात-आठ  हजार  रुपया हो उसमें रहने लगो . उसमें आपको स्विमिंग पूल , जिम , विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन मिलेंगे , और रोज नए नए लोगों से मुलाकात होगी सो अलग ….हर महीने शहर बदल बदल कर रहो . जितना ज्यादा हो सके , जिंदगी का आनन्द उठाओ . आपको अपने जीवन के प्रति प्रेम पैदा होगा और आप अवसाद (डिप्रेशन) से बाहर आ जाओगे .

बुजुर्ग डॉक्टर की नसीहत मान कर एक फाइव स्टार होटल में आठ हजार रुपए के भाड़े वाला कमरा लिया , और आनन्द से रहने लगे . अब उनकी खुशी का कोई पार न था ! !!  73 वें साल की उम्र में उनका निधन हो गया . तब तक उनकी दो करोड़ वाली संपति की कीमत बढ़ कर चार करोड़ हो गई , जो बच्चों के लिए थी . और जीवन के अंतिम वर्षों में खुल कर खर्च करने के बाद भी उनके पास पचास लाख बचे रह गए . कहने की जरूरत नहीं है कि उनको अवसाद से पूर्णतया मुक्ति मिल गई और साथ में जीने के अनेक बहाने भी मिलते गए .

शिक्षा:-अगर हम जिम्मेदारियों से मुक्त हैं तो कमाई हुई संपति मरने से पहले अधूरी ख्वाहिशों को पूर्ण करने में और आनंद प्राप्त करने में खर्च कर लो और आनन्द के साथ बुढ़ापे की जिंदगी जियो …अगर हम भी कमाए हुए धन का अपने लिए जीते जी उपयोग नहीं करते तो हमारा कमा कमाकर जोड़ना बेकार है ! हमारी द्वारा इच्छाओं को मारकर बचाया गया धन आपके बच्चे जल्दी ही समाप्त कर देंगे , क्यों कि उन्होंने उस धन को कमाने में कोई परिश्रम नहीं किया है ! !! अपना धन जो भोगे वही भाग्यशाली..!! 

जय श्रीराम

Senior men playing tug of war at park
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Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
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