lalittripathi@rediffmail.com
Stories

कर्मो का फल

#कर्मो का फल #मन पछतावा #भगवान #क्षमा #मूव से मालिश #मूव से मालिश #अधिकार #मंद मंद मुसकुरा #जय श्री राम

175Views

जानकी को नाश्ता करते समय ही घुटनों में हल्का दर्द महसूस होने लगा था दर्द जब असहनीय हो गया, तब उसने अपनी बहू श्वेता को आवाज दी….

श्वेता ….बहु ….

आपने बुलाया मम्मी जी…..

हां.. मेरे घुटने दर्द से ऐंठ़ रहें हैं.. …जरा दराज से मूव निकाल कर मालिश कर दो…. और गरम पानी की थैली से सिंकाई भी कर दो..

मम्मी जी.. मुझे मूव की बदबू से उल्टी आती है.. ..

मैं मालिश तो नहीं कर पाऊँगी.. ..हां.. गरम पानी की थैली लाती हूंँ..उससे तो आप खूद भी सिंकाई कर सकती हैं…..

बहू का टका सा जवाब पाकर जानकी कुछ बोल नहीं पाई….

बस आँखों के कोरों से आँसूं निकल पड़े उसके अपने किये कर्म सामने आ रहे थे जानकी ने भी अपनी सास की कभी इज्ज़त नहीं की उनकी बेज्जती करने से वह कभी भी नहीं चूकती थी…

जानकी को अपने स्वर्ग सिधार चुके पति की बात याद आ गई….

कर्म का फल यहीं मिलता है जानकी….

उसका मन पछतावा से भर गया वह भगवान से अपने दुरव्यवहार के लिए क्षमा मांगने लगी…. तभी श्वेता पानी ले आई जानकी स्वयं सिंकाई करने लगी गठिया के कारण हाथ थोडे़ टेढे़ हो गये थे सो, दिक्कत हो रही थी…तभी दरवाजे बेल बजा…

श्वेता ने दरवाजा खोला,

अरे मम्मा…..आओ ना.. …कितने दिनों के बाद आई हो.. उधर कहां जा रही हो…..

तेरी सास से मिलने….

वो सो रही हैं.. …बाद में मिल लेना.. चलो मेरे साथ….. श्वेता उन्हें अपने कमरे में ले गई

“दर्द ज्यादा है क्या…..

हां….. मुझसे बोली.. मूव से मालिश कर दो..फिर गरम पानी की थैली से सिंकाई कर दो..

मैने तो बोल दिया, मुझे तो मूव से उल्टी आती है.. सिंकाई तो आप खूद भी कर सकती हैं…..कया…..यह तो गलत बात है श्वेता.. …एक बीमार और लाचार को इस तरह से जवाब देना….

      तुम नहीं जानती मम्मा.. इन्होंने अपनी सास को बहुत सताया है….. मुझे बुआजी ने सब बता दिया.. …

तू क्या उसका बदला ले रही है….. फिर तो यह कहानी कभी खत्म ही नहीं होगी….

मतलब…..

      उन्होंने अपनी सास को सताया…..और तू अपनी सास को सता.. ..फिर कल तेरी बहू तूझे सतायेगी…..

मेरी बहू.. क्यों…..

क्यों क्या.. …उसे बताना वाला कोई नहीं होगा क्या..

और फिर कोई बताये या ना बताये.. …बच्चे तो घर में जो देखेगे.. वही सिखेगें ना…..

श्वेता सोचने लगी….

अपनी बात का प्रभाव होते देख उसकी मां ने कहा, मैने तुझे ऐसे संस्कार तो नहीं दिये हैं. …कल को अगर तेरी भाभी.. मेरे साथ ऐसा करे तब.. तुझे कैसा लगेगा….

      सॉरी मम्मा……मुझसे गलती हो गई…..

अब से मैं उनका ध्यान.. एकदम अपनी मां की तरह रखूंगी…..

कोई बात नहीं.. जहां जागे वही सवेरा…..

बस इतना याद रख.. किसी को दंड देने का अधिकार हमें नहीं है…..वो उपर बैठा़ है ना.. वही न्याय करता है बेटा.. … श्वेता की आँखों में पछतावे के आँसु थे वह तुरंत गई और सासूमां के मूव लगाकर मालिश करने लगी …वही मां ये देखकर मंद मंद मुसकुरा रही थी

जय श्री राम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply