जैसे पूत के पांव पालने में दिखाई देते हैं वैसे लक्ष्मण जी का राम के प्रति आदर भी पालने में दिख गया था
तो मसला ये था कि राम लक्ष्मण भरत और शत्रुघ्न का जन्म कुछ कुछ अंतराल पर हुआ, पालने में सबको लिटाया गया तो सब चुप हो गए, इसी बीच लखन लाल इतनी तेज रोने लगे कि तीनों माताएं राजा दशरथ भी परेशान हो गए
स्वर्ग में बैठे देवी देवताओं ने भी उन्हें चुप कराने का प्रयास किया पर रोने की आवाज बढ़ती जा रही थी, इसी बीच गुरु वशिष्ठ आए और लखन लाल को राम के पालने में उनके पैरों पर लिटा दिया, जैसे ही लखन पैरों में लेटे तो एकदम शांत हो गए
यूं ही नहीं श्री राम ने लखन लाल के मूर्क्षित होने पर रोते हुए कहा था कि क्या मुंह दिखाएगा ये क्षत्रिय इस ब्रह्मांड को जो खुद की आत्मा यानी लक्ष्मण को न बचा सका…
राम रामेति रमेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्रनाम तत्तुल्यम राम नाम वरणाने।।
जय श्रीराम