खुशी वो इत्र है जो हम दूसरों पर छिड़कते हैं तो उसकी कुछ बुँदे हम पर भी गिरकर हमें महका देती है। जीवन में बाँटने जैसा कुछ है तो प्रेम है, खुशियां हैं। हमेशा रात को सोने से पहले इस बात का मुल्यांकन होना चाहिए कि कहीं आज हमारे द्वारा किसी का दिल तो नहीं दुखा..? कहीं आज मन से, वचन से और कर्म से हमारे द्वारा कोई ऐसा कर्म तो सम्पन्न नहीं हुआ जिससे किसी के भी हृदय को आघात पहुँचा हो…?
जो लोग दूसरों की खुशियों का ध्यान रखते हैं, उनकी खुशियों का ध्यान स्वयं प्रकृत्ति रखा करती है। ये बात भी याद रखी जानी चाहिए कि बाँटी हुई वस्तु ही लौटकर हमारे पास आती है, अब ये हम पर निर्भर करता है कि हमने बाँटा क्या था, खुशियाँ या और कुछ…?
खुश रखना और खुश रहना ये जीवन की दो महत्वपूर्ण कलाएं हैं। जिसे पहली कला आ जाती है उसकी दूसरी कला स्वयं परिपूर्ण हो जाती है। जो लोग अपने से ज्यादा दूसरों की खुशियों का ध्यान रखते हैं, वही लोग प्रकृत्ति की दृष्टि में सबसे बड़े पुरूस्कार के योग्य भी बन जाते हैं।
एक बात और खुशियाँ एक चमत्कारिक इत्र हैं। छिड़कते हम दूसरों के ऊपर हैं और महकता स्वयं का जीवन है। जितना जितना हम दूसरों के ऊपर छिड़कते जाते हैं, उसी अनुपात में हमारा स्वयं का जीवन भी महकने लगता है।
शिक्षा-मनुष्य जीवन मिला है तो खुशियाँ बाँटना सिखना चाहिए ताकि हम स्वयं भी खुश रह सकें।
जय श्रीराम
Sunder Lekh h Sir ji it grateful thank
Thanks