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हैप्पी बर्थडे माँ (प्रयास लाये रिश्तों में मिठास)

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आज सुयश और नंदा की शादी के बाद गृह प्रवेश की रस्म हुई l सास ससुर के चरण स्पर्श करते हुए नंदा ने ग़ौर किया कि सुयश ने अपने मम्मी पापा के पैर नहीं छूए l ये बात उसे परेशान करने लगी क्योंकि आजकल बच्चे वैसे भी ख़ास अवसरों में ही बड़ों के पैर छूने लगे हैं, और आज के दिन पैर ना छूना कोई साधारण बात तो हो ही नहीं सकती l

नई नवेली नंदा ये बात किसी से पूछने की हिम्मत भी नहीं कर पा रही थी, क्योंकि सुयश के इस व्यवहार को लेकर शिकायत परिवार के किसी भी सदस्यों में उसे दिखाई नहीं दे रही थी l सभी का व्यवहार नंदा के प्रति भी बहुत आत्मीय था l उसकी सास ने तो दूसरे ही दिन मालूम कर लिया था, कि उसे खाने में क्या पसंद है, कौन सा रंग प्रिय है… और कौन सा परिधान पहन कर वो अपने आप को ज़्यादा सहज महसूस करती है l

कुछ दिनों बाद नंदा ने महसूस किया कि सुयश का व्यवहार घर के अन्य सदस्यों से तो ठीक है l सिर्फ़ माँ और पापा का नाम लेते ही वो पत्थर की तरह निर्विकार हो जाते हैं l सुयश का यही व्यवहार नंदा को लगातार परेशान करने लगा और उसे अपनी विदाई का समय याद आ गया जब माँ ने पापा से कहा था…. सुनिए जी, हमने वैवाहिक पत्रिका के द्वारा अपनी बेटी की शादी तय कर दी, सिर्फ़ एक बार ही लड़के वालों से मिले.. अगर सुयश और उसके घर वाले ठीक हुए तो अच्छी बात है l नहीं तो शादी दुकान से खरीदी कोई चीज़ थोड़े ही है, जो पसंद ना आने पर हम वापस कर देंगे…! तो पापा ने उन्हें ढांढस बंधाते हुए अपने विश्वास की दृढ़ता से कहा था, कि मुझे अपनी बेटी के संस्कारों पर पूरा भरोसा है, वो जहाँ भी जाएगी सबका दिल अवश्य जीत लेगी l और मैं भी तक़दीर की धनी निकली यहाँ सभी अच्छे हैं l बस मेरे पति महोदय के मन में अपने माँ पापा के लिए खटास कैसे और क्यों आयी, ये जानना मुश्किल हो रहा है l

ससुराल में अब नंदा के बड़े ही सामान्य ढंग से दिन और महीने पंख लगाये बीतने लगे l तभी एक दिन रसोई में अनायास घर की नौकरानी गीता के मुँह से निकल गया कि “कोई सगी माँ भी बच्चों का इतना ख़याल नहीं रख सकती..!” पास खड़ी नंदा ने जैसे ही ये सुना तो आश्चर्य से वो बोली – “क्या कहा तुमने… ये क्या बोल रही हो..!!”

“हाँ भाभी, एक ना एक दिन तो आपको ये पता चलता ही…!”

तो नंदा ने उत्सुकता से पुनः पूछा -” तो सगी माँ का देहांत कब हुआ..?”

“पाँच साल हो गए… उनके जाने के कुछ ही महीनों बाद ही बाऊजी ने दुसरी शादी कर ली… तभी से सुयश भैया ना बाऊजी से बात करते हैं, ना नई माँ का मुँह देखते हैं l लेकिन ये माँ जी बहुत अच्छी हैं, बिना किसी शिकायत के कनिका दी, छोटे भैया, सुयश भैया और बाऊजी की पसंद नापसंद का पूरा ध्यान रखती हैं l”

“ओह, तो ये बात है..!” कहते हुए नंदा ने गहरी श्वास ली.. और मन ही मन सुयश की नाराज़गी की वजह जानकर  निश्चिंत भी… पर पूरी तरह से नहीं, क्योंकि सुयश के मन में क्या चल रहा है,ये भी जानना जरूरी है l

और फ़िर उसी रात नंदा ने सुयश से कहा-” एक बात पूछूँ…” बात पूरी होने से पहले ही सुयश ने कहा-“मैं मि. विकास और उनकी पत्नी से बात क्यों नहीं करता हैं ना…तो आज एक बात तुमसे स्पष्ट कर दूँ… मैं अपनी माँ की जगह किसी को भी नहीं देना चाहता और इस बात के लिए मुझसे कोई जबरदस्ती भी नहीं करना..!” ये कहते हुए वो पलट कर सो गये l लेकिन, ये सुनकर नंदा अब आश्वस्त हो गई ..कि चलो, इनकी नाराज़गी की वजह तो पता चली..!

दोनों पक्षों की बात स्पष्ट होते ही नंदा ने अब अपना मिशन आरंभ कर दिया …निरंतर एकांत के क्षण मिलते ही वो सुयश से माँ की अच्छाइयाँ बताने लगती l और इस दरम्यान उसने ग़ौर किया कि सुयश उसकी बात सुनते तो थे पर निर्विकार रहकर …!

और फ़िर एक दिन.. नंदा  ने अपने अंतरंग क्षणों में सुयश से कहा – “किसी लड़की का अगर ससुराल में अपमान हो तो…” उसकी बात पूरी भी नहीं हो पाई थी..कि सुयश ने कहा – “किसने किया तुम्हारा अपमान…?”

“मेरा…? नहीं तो.. किसी ने नहीं किया…! मैंने तो किसी लड़की की बात कही , जैसे तुम्हारी माँ…! वो भी तो किसी की लड़की हैं, और यहाँ पर उनका भी तो अपमान किया जा रहा है.. !!”

ये कहते हुए नंदा ने ग़ौर किया कि माँ पापा का नाम लेते ही जिस सुयश का चेहरा रोष व्यक्त करने लगता था वो अब बाल सुलभ नज़र आ रहा है.. ये देखकर नंदा ने अब अपने विश्वास की दृढ़ता से बात आगे बढ़ा दी..”जब से माँ यहाँ आई हैं, आप सबकी हर सुख सुविधा का उन्होंने ध्यान रखा है l मुझे भी अगर बताया ना जाता तो मैं भी जान नहीं सकती थी, कि वो सगी नहीं हैं l मैं मानती हूँ कि कोई इंसान किसी की भी जगह नहीं ले सकता, और उन्होंने आप के साथ कभी कोई दुर्व्यवहार भी तो नहीं किया…! फ़िर किस अपराध के लिए आप उन्हें क्यों सज़ा दे रहे हैं… ? ” तो जवाब में सुयश ने बड़ी ही दीनता के साथ किसी अपराधी की तरह नंदा की तरफ़ देखा और ख़ामोशी से सो गये l सुयश के इस बदलते तेवर को देख नंदा ने ईश्वर से प्रार्थना की  ” हे भगवान्..सब ठीक करदेना!”                                                                                                                                                                                 दूसरे दिन सुबह उठते ही सुयश ने फ्रीज़ से पानी लेते हुए देखा फ्रीज़ मे हैप्पी बर्थडे मम्मी लिखा हुआ केक रखा है, फ़िर पानी पीते हुए उसने हॉल की तरफ़ निगाह फेरी…. तो देखा कनिका, छोटू और नंदा घर सजाने में व्यस्त हैं..फ़िर उसी समय चाय की केतली और कुछ कप को डायनिंग टेबल पर रखते हुए नई माँ ने कनिका को आवाज़ लगाते हुए बुलाया-“आओ बच्चों चाय तो पी लो…!”

और तभी…. सुयश ने नई माँ के पैर छूते हुए कहा – “हैप्पी बर्थडे माँ ” अकस्मात् ये सुनकर नई माँ तो फफक फफक कर रोने लगी और सुयश को आशीर्वाद देते हुए कभी उसके सिर में हाथ फेरने लगीं , तो कभी गालों को हाथो से बार बार छूने लगीं ये देखकर ऐसा लग रहा था, मानो इस एक पल में वो अपना सारा प्यार सुयश पर लूटा देंगी…इस अप्रत्याशित घटना से नई माँ का चेहरा तो रक्तिम हुआ जा रहा था… और आँसू ऐसे बह रहे थे जैसे अब थमेंगे ही नहीं…. ये अद्भुत दृश्य देखकर घर के सभी सदस्य उनके करीब आ गए.. तभी माँ ने नंदा को अपनी तरफ़ खींचा और गाल को चिकोटी काटते हुए कहने लगीं..”तूने तो मेरे पत्थर को भी पिघला दिया रे…” और उन्होंने नंदा को अपनी तरफ़ खींचकर अपने गले से लगा लिया .. ये दृश्य देखकर परिवार के सभी सदस्यों की आँखे नम हो गई..और तत्क्षण ऐसा लगा जैसे सबके चेहरे का संतोष  मानों वातावरण में मिश्री सी मिठास घोल रहा हो

जय श्री राम

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Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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