एक बार यशोदा माँ यमुना मे दीप दान कर रही थी, वो पत्ते मे दीप रखकर प्रवाह कर रही थी । उन्होंने देखा कि कोई दीप आगे नही जा रहा…ध्यान से देखा तो कान्हा जी एक लकडी लेकर जल से सारे दीप बाहर निकाल रहे थे, तो माँ कहती है “लल्ला तू ये का कर रहो है…?” कान्हा कहते है.. “मैया, ये सब डूब रहे थे तो मै इन्हे बचा रहा हूँ….”माँ ये सब सुनकर हँसने लगी और बोली
“लल्ला, तू केको केको बचायेगा..”
ये सुनकर कान्हा जी ने बहुत सुन्दर जवाब दिया…
“माँ मैने सबको ठेको थोडी न ले रखो है।जो मेरी ओर आएंगे उनको बचाऊंगा…”
शिक्षा:-इसलिये हमेशा भगवान के सम्पर्क मे रहें, हां, जो भाग्यशाली जीव भगवान के सम्मुख अर्थात शरणागत हो जाता है, उसे ही भगवान दु:खों के सागर से पार लगा देते है।
गोवर्धन (अन्नकूट) पूजा की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। कन्हैया के आशीर्वाद से घर-घर में सुख, शांति, समृद्धि, मंगल,आनंद की सरिता प्रवाहमान हो। दु:ख और अहंकार मिटें। सौहार्द बढ़े, कल्याण हो। भगवान श्रीकृष्ण आप व आपके परिवार पर कृपा व आशीर्वाद बनाए रखें।
जय श्रीराम
Bilkul sahi baat hai..kanha ji ki kripa se sab theek ho jata hai…jai shree krishna…
Thanks
Jai shree Krishna….
Jai Shri Krishna
बहुत बहुत सुंदर
Thanks Sir
प्रीत की रीत तो यही कहती हैं
सबसे प्यारा रिश्ता,,
भक्त और भगवान का होता हैं,
जिसमे एक दूसरे के दिल में,
प्रेम और करुणा का सागर छुपा होता हैं,
प्रेम से बोलो,, राधे राधे
Agreed Sir