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इत्र की सुगन्ध

#इत्र की सुगन्ध #फूलों #सामर्थ्य #सर्वश्रेष्ठ प्रमाणपत्र #जगदीश #पुरस्कार #अच्छे कर्मों #सम्मानित #प्रभु

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जिस प्रकार असली फूलों को इत्र लगाने की जरूरत नहीं होती वो तो स्वयं ही महक जाया करते हैं। उसी प्रकार अच्छे लोगों को किसी प्रशंसा की जरूरत नहीं होती। वो तो अपने श्रेष्ठ कर्मों की सुगंधी से स्वयं के साथ – साथ समष्टि को महकाने का सामर्थ्य रखते हैं। इत्र की खुशबु तो केवल हवा की दिशा में बहती है मगर चरित्र की खुशबु वायु के विपरीत अथवा सर्वत्र बहती है। अपने अच्छे कार्यों के लिए किसी से प्रमाणपत्र की आश मत रखो, आपके अच्छे कर्म ही स्वयं में सर्वश्रेष्ठ प्रमाणपत्र भी हैं।

जीवन में एक बात हमेशा याद रखना कि आपके अच्छे कार्यों को जगत में किसी ने देखा हो या नहीं मगर जगदीश ने अवश्य देखा है। उस प्रभु ने अवश्य देखा है। आपके चाहने से आपको कोई पुरस्कार मिले या नहीं मगर आपके अच्छे कर्मों के फलस्वरूप एक दिन उस प्रभु द्वारा आपको अवश्य पुरस्कृत और सम्मानित किया जाये

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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