रामायण धारावाहिक की शुटिंग के समय निर्देशक रामानंद सागर के लिये सबसे मुश्किल काम था – काकभुशंडी और शिशु राम के दृश्य फिल्माना । दोनो ही निर्देशक के आदेश का तो पालन करने से रहे ।
यूनिट के सौ से अधिक सदस्यो और स्टूडियो के लोग कौए को पकड़ने में घंटों लगे रहे। पूरे दिन की कड़ी मेहनत के बाद वे चार कौओं को जाल में फँसाने में सफल हो गए। चारों को चेन से बाँध दिया गया, ताकि वे अगले दिन की शूट से पहले रात में उड़ न जाएँ। सुबह तक केवल एक ही बचा था और वह भी अल्युमीनियम की चेन को अपनी पैनी चोंच से काटकर उड़ जाने के लिए संघर्ष कर रहा था।
अगले दिन शॉट तैयार था। कमरे के बीच शिशु श्रीराम और उनके पास ही चेन से बँधा कौआ था। लाइट्स ऑन हो गई थीं। रामानंद सागर शांति से प्रार्थना कर रहे थे, जबकि कौआ छूटने के लिए हो-हल्ला कर रहा था। वे उस भयभीत कौए के पास गए और काकभुशुंडी के समक्ष हाथ जोड़ दिए, और फिर आत्मा से याचना की “काकभुशुंडीजी, रविवार को इस एपिसोड का प्रसारण होना है, मैं आपकी शरण में आया हूँ, कृपया मेरी सहायता कीजिए।” निस्तब्ध सन्नाटा छा गया, चंचल कौआ एकदम शांत हो गया ऐसा प्रतीत होता था, जैसे कि काकभुशुंडी स्वयं पृथ्वी पर उस बंधक कौए के शरीर में आ गए हों। रामानंद सागर ने जोर से कहा, ‘कैमरा’ ‘रोलिंग’, कौए की चेन खोल दी गई और 10 मिनट तक कैमरा चालू रहा। रामानंद सागर निर्देश देते रहे, “काकभुशुंडीजी, शिशु राम के पास जाओ और रोटी छीन लो।” कौए ने निर्देशों का अक्षरश: पालन किया, काकभुशंडीजी ने रोटी छीनी और रोते हुए शिशु को वापस कर दी, उसे संशय से देखा, उसने प्रत्येक प्रतिक्रिया दर्शायी और दस मिनट के चित्रांकन के पश्चात् उड़ गया।
मैं इस दैविक घटना का साक्षी था । निस्संदेह वे काकभुशुंडी (कागराज) ही थे, जो रामानंद सागर का मिशन पूरा करने के लिए पृथ्वी पर उस कौए के शरीर में आए थे। जय श्रीराम! जय काकभुशंडी!
Book रामानंद सागर के जीवन की अकथ कथाएँ Writer प्रेम सागर
जय श्रीराम