कालेज के स्टाफ रूम में सभी महिला लेक्चरार एक ही डिस्कशन कर रही थी कि कल करवा चौथ पर पति ने तुम्हे क्या दिया या तुमने क्या मांगा। कोई नई रिंग तो कोई नए डायमंड टाप्स दिखा रही थी। किसी ने नई चेन तो किसी ने नई चूड़ियाँ पहनी हुई थी। तभी एक प्राध्यापिका इतराते हुए बोली, “मेरे पास हर तरह की ज्वैलरी तो पहले से ही बहुत है। इसलिए मैंने तो अपने पति से लेटेस्ट डिजाइन की नेट की साड़ी ली।’
इन सब बातों से बेखबर मीना चुपचाप सोफे के कोने में बैठी अपनी किताब पढ़ रही थी। संध्या ने उसे टोका ,”मीना तुमने क्या मांगा ? तुम्हारे पति ने तुम्हें क्या उपहार दिया?हमें नहीं बताओगी “?
मीना ने बड़े शान्त भाव में कहा, “मैं करवा चौथ पर अपने पति से कुछ नहीं मांगती”। सब एक साथ बोली, ‘क्यू भई हम उनके लिए पूरा दिन भूखी प्यासी रहती है। व्रत रखतीं है। इतना तो हमारा हक बनता है’।
मीना ने फिर उसी भाव में कहा, व्रत मैं अपने प्रेम और विश्वास के लिए रखती है। अपने पति से प्रेम है इसलिए उनकी निरोगी काया और लम्बी उम्र के लिए रखती हूँ। अगर मैंने उसके बदले में कुछ मांग लिया या उम्मीद की कि मेरे पति शाम को चांद के साथ साथ उपहार दर्शन भी करवाये यानि मेरे लिए कोई कीमती तोहफा लाए तो मेरा प्यार क्या हुआ, ये तो सौदा हो गया।’
अब सभी प्राध्यापिकाएँ निरूतर होकर एक-दूसरे का मुहँ ताक रही थी।❤️
जय श्रीराम
